भगवान महाकाल को तीनो लोकों में विद्यमान सभी शिवलिंगों में प्रधान कहा गया है, वराह पुराण में कहा गया है नाभिदेशे महाकालस्तन्नाम्ना तत्र वै हर: अर्थात नाभिदेश उज्जैन में स्थित भगवान महाकालेश्वर तीनों लोकों में पूज्यनीय हैं।
आकाशे तारकांलिंगम्, पाताले हाटकेश्वरम्।
मृत्युलोके महाकालं, सर्वलिंग नमोस्तुते ।।
अर्थात, आकाश में तारकालिंग, पाताल में हाटकेश्वर, तथा पृथ्वीलोक में महाकाल है।
शिव भक्तों को यह पाठ करने से नवीन उर्जा का संचार होता है, सोमवार, प्रदोष या चतुर्दशी तिथि में श्रीमहाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का ध्यान कर भगवान शिव को बेलपत्र और जल अर्पित कर इस स्तोत्र का पाठ अति मंगलकारी है, यह दु:ख व दरिद्रता दूर करने वाला है।